Tuesday, October 7, 2008

सिर्फ़ मैं

देवी जी की जय जय !! सभी को दशहरे की शुभकामनाएँ ! बुरी नज़रों से देवी माँ सबको बचाएँ ! अपना देश खुशहाल बने , जो लोग आतंक की भेंट चढ़े , चढ़ रहे हैं उन्हें भूलना नही .

उन्होंने मुझे भी निशाना बना लिया था , अपने भाइयों पर से मेरा भरोसा उठने लगा था..भूल गया था सॉबी,बॉबी,पप्पू, जुम्मन मियां ,निसार भाई,लालबाबू ,कैफी,बिट्टू,जावेद,इकबाल,अफाक,नदीम,इमा,रावी,यास्मिन,राहत,.....सभी को ,सब अचानक से मुसलमान हो गए थे एक के बाद एक...मैं हिंदू हो गया था अचानक ..काली टोपी , तलवार . बाज, लाठी ,मशाल ,किरोसीन ,सूरज,भाला,बर्छी,खुखरी,टायर,चिंगारी,फरसा,चिता,अफवाह,शिवलिंग,नंदी,त्रिशूल.....सब हो गया था मैं अचानक से....
अपने धर्मनिरपेक्ष रहने का फ़ायदा उठा रहा था मैं ..अपने को बता रहा था कि मैं ग़लत नही हूँ, ये मोहभंग है,सच्चाई सबके सामने है, आँखें मत चुराओ,जुम्मन तुम्हारे खरीदे नमकीन बिस्कुट नफरत की पुडिया में बांधता था,अपनी और से दो और जो गिन के मंगनिया डालता था वो तुम्हारा भरोसा जीतकर तुम्हे कत्ल करने को,..बिट्टू खेल में तुमसे जीत जाता था तुम्हे नीचा दिखाने को क्यूंकि तुम हिंदू थे...निसार भाई सौदा तौलता था तो क्या, सामने वाले बड़े नाले को गन्दा करता था तुम्हारे मुहल्ले पर मूत जाता था....ईद बकरीद में खूब दावत खाई है दोस्तों से , तुम्हारा त्रिवेदी दोस्त बच निकलता था साफ़, तुम ही लुटे जाते थे , दोस्त है,हिंदू मुसलमान बकवास, बिरयानी जिंदाबाद..वही असली धर्म है , कसम खुदा की सॉरी बजरंगबली की, बिरयानी खा के गाना गाने लगता था ,रूह आई मीन आत्मा तृप्त हो जाती थी ....बम फोड़ डाले , स्साले गद्दार , इतना गोस्त खाया है पेट भर कर, कभी न कभी जरूर मिलाया होगा उसमें..गद्दार गद्दार .....
दिल्ली,जयपुर,बंगलुरु,त्रिपुरा,बनारस, अयोध्या...सब हो गया था मैं ..इरफान,राहत,इकबाल..... इस्लामाबाद,लाहौर,ढाका,नोआखली,कारगिल,कांधार,सब्जीबाग,फुलवारी, हारुन- नगर, चाँद-तारा,मकबरा,सिलाईमशीन ,प्रेशर-कुकर..हो गए थे....भाड़ में गई समन्वित संस्कृति, ग़ज़लें ,दिलीप कुमार, आमिरखान...अकबर....अब तो बस ह्रतिक और अभिषेक और शिवाजी महाराज ....
हिंदू हिन्दी हिन्दुस्तान ,लड़ के लेगा पाकिस्तान..इतनी हिम्मत ..आजा मैदान में..खेल कबड्डी....सैल कबड्डी आस लाल मर गया प्रकाश लाल लाल लाल....अर्र अर्र ..प्रकाशलाल तो हिंदू है ,उसे कैसे मारे ..और कौन कौन लाल है..जवाहरलाल,मोतीलाल,धारीवाल,फरीदा जलाल अर्र अर्र वो तो लेडिज है..न..न..क्या हुआ लेडिज है तो , सालों ने हिन्दुओं की लड़कियों को रखैल बनाया,कन्भर्ट कर दिया सुशीला को सलमा में ..निकाह करके इज्ज़त लूट ली ,घर में बीवी के गुलाम बने, जान छिड़का,बाहर तो अपने लोगों में भेद से हँसे ,गाजियों की बराबरी की ,हिंदू की इज्ज़त ले ली,....
पर पर सुशीला तो सलमा हो गई थी फ़िर हिंदू हिंदू !...
बीच में मत टोकिए ..हिंदू हमेशा हिंदू रहा है रहेगा , देखिये केतनो कन्भर्ट कर लीजिये ..मुसलमान सेंदुर लगाता है बीवी को रसम में,,, कन्भेंट स्कूल की इसाई मैडम सब को न देखे हैं ,सब सेंदुर लगाती है..वो सेंत कैरेंस वाली मैडम ,हनुमान जी को मनता मानी तब जाके बेटा हुआ , हिंदू लोग तो हमेशा से हिंदुए रजिस्टर हुआ है ,दोसरा धर्म वाला भगवान् को केतनो मना लेओ लोग सुनवाई तो जहाँ रजिस्ट्री हुआ हैओहिजे होगा ...यही से न सब पगलाया हुआ है मन्दिर उंदीर को तोडे के पीछे यही कारन था , आज खुल्लमखुल्ला कुछो नही कर सकता ता बम चला रहा है एहनी....; अरे हम भी सेकुलर हैं पर इतना कारनामा देखे के बाद बर्दास्त नही होता है ..उ उ बच्चा को भूल गये,टिफिन लौटा रहा था अंकल अंकल कह के , का निकला बम ....संतोस नाम था ..हिंदू...!
पर, पर बम तो सब जगह चल रहा है ,पाकिस्तान में भी ..बेनजीर !...अरे ई लोग अपना कम मारकाट अहि , ...सिया सुन्नी अफ़घान पठान ...अपने में मार काट मचियले है सब ...हमरा ता डाउट है कि सब पहिले जादव था , गांधारी के श्राप कन्भर्ट हो जाए से पीछा छोड़ देगा का .इतना देमागी बैताल और लरंकाहा जात ..... .....
आप भी तो जादव है ...
फ़िर गडबडा गये आप ..हम किस्नौथ हैं,डायरेक्ट किरशन भगवान .कनुजिया मज्रौथा मत समझियेगा ...छत्रिय रहे हैं ...आर्य कौन थे , जानते है ..जादव ....
पर अभी तो ये भी नही सुलझा कि कहाँ से आए....
फ़िर टोक दिए ..केतना बार बोले हैं कि अंगरेजी बोलते समय अ ज्ञान विचार का बात बोलते समय टोकना नही चाहिए फ्लो टूट जाता है ..ता कहाँ थे हम ..आर्ज थे पशुपालक ई काम किसका है.... ,फ़िर पढिये जाके ऋग्वेद में यदु कबीला का नाम है ..ओकरे से निकला है यादव...फ़िर बे- लाइन कर दिए आप टोक के ...हम बोल रहे थे कि निचलका जादव सब कन्भर्ट हो गया होगा ,देखते नही है केतना पटता है जादव मुसलमान में ...खूनवा कुछ तो असर करेगा न...
अर्र अर्र अर्र .......सेवई, शोरबा ,खीर ,कबाब,कोरमा, तंदूरी,झटका... सराप सराप छप्प छप्प लप लप बलर बलर ब्लड ब्लड खून खून ..... ऐ पोजिटिव बी-नेगटिव ,हाँ हाँ एक लड़का है..बी-नेगेटिव बी-नेगेटिव ...एक यूनिट कब कहाँ कुर्जी होली फैमली ...क्या कमजोर ...कौन...लड़की...क्या मुसलमान ...खाजपुरा ...बगल में ही तो है ..सुना है शिव मन्दिर मुसलमान बनवाया एकदम सफ़ेद ..एकदम मस्जिद के बगल में ....मुसलमान काहे....जमीन जुमुं का मामला होगा,दबा लिया होगा ..तो मस्जिद भी तो बना सकता था ...नही न समझे ..मन्दिर ज्यादा सेफ है फ़िर सेकुलर......बी-नेगटिव बी-नेगटिव...कुदरत-उ-ल्लाह...सागर..नमस्ते..आदाब.....छोटी बहन बीमार...आपका ब्लड बी-नेगटिव ..जरूरत..अरे खुशी से...शुक्रिया...कर्तव्य..मानवता आदमीयत....त्रिवेदी.....जियो प्यारे मुसलमानी में अपना खून डाल ही आए...साबाश...हर हर महादेव...हिंदू बी-नेगटिव मुस्लिम बी-नेगटिव......जांघ को काटके उसमे गंगाजल की सीसी छुपा लो फ़िर मक्का में घुसकर उडेल दो सब मुस्लिम ख़त्म एक बार में..सच्च....
प्रेम से बोलिए दुर्गा माई की जय ....हॉर्लिक्स दादा उ चंदा नही दे रहा है ....
कौन रे...
अरे उ टेलर मास्टर मिया जी...ओक्कर कौनो साला अबकी दरोगा हो गया है एहे थाना में...
ह्म्म्म...रुक बताते हैं ओकरा...
कहाँ चले हॉर्लिक्स दादा...
अरे शर्मा जी उ टेलारवा चंदा नही दे रहा है...
तुमको पहले ही कहे थे इसको यहाँ टिकने मत दो पर तुमको तो बीवी का अंगिया सिलवाना था घर के बगल में....
अब कहे टांग खींच रहे हैं...
सुनो क्यूँ न अबकी महिषासुर का थोड़ा लंबा दाढ़ी रख दें
.......झमझम करक करक....म से महिषासुर म से .........अपमान... जलालत... बदला... पत्नी.. सुंदर अंगिया...हिंदू अंगिया...मुस्लिम चोली....हिंदू धागा मुस्लिम धागा...भागा भागा .......पकडो पकडो....
क्या पकडूं किसका पकडूं समझ नही आता...कान पैर गट्टा झोंटा .....अकेले कुछ न पकड़ सकते हैं न कुछ उखाड़ सकते हैं ,जो कहते है आतंकवाद पुरी दुनिया की समस्या है झूठें हैं...ये मेरे बगल की समस्या है,गरीबी,बेरोजगारी की तरह नस-नस में बिंध गई है ये भी ..खून जहर हो रहा है ....बहुत बडा है सर्व व्यापी है कहकर डराते है , मुझे कमजोर बनाते हैं...मैं ही आतंकी हूँ और मैं ही आतंक भी...मुझमे ही समाधान हैं ..बुश ,मनमोहन,जरदारी जो करें मुझे जुम्मन से मिलना होगा , इकबाल से गप्पें लड़ानी होगी, ईद मनानी होगी,सेवई खानी होगी ,बिरयानी की मस्ती में खोना होगा...कुर्ता सिलाना होगा,टेलर मास्टर को वापिस बुलाकर हॉर्लिक्स की बीवी की अंगिया सिलानी होगी, बिट्टू के साथ कबड्डी खेलनी होगी..सबकुछ फ़िर से करूँगा फ़िर से .....मैं आतंक के बम का शिकार नही बनूँगा कभी नही...मै न हिंदू न मुसलमान .......ssss....ssss...कबीर.. गाँधी ...नागार्जुन ...मुक्तिबोध...अमृता प्रीतम ..कमलेश्वर...पप्पू..सौबी..बॉबी...छोटू..टिंकू...पिंकू...बबलू...सोनू..गूंजा....राहत...कैफी...कमल..कमाल...बालक..बिल्लू...मुन्नू..मुन्ना....आप भी.... मै भी....हम सभी.

4 comments:

शोभा said...

वाह! बहुत बढ़िया लिखा है.

अपने से बाहर... said...

बहुत सुंदर...यही एकमात्र रास्ता है आतंक के असुर के अंत का।

Anonymous said...

u have written so well. but these kind of material can not be read by so many readers as they are in form of blog.i still believe in hard copy books. the best way is to turn these things into simple and clear story. i will arrange publisher for you.

अपने से बाहर... said...

हा-हा...घड़ी लगाया गया है नया, अच्छा लग रहा है.